भारतीय परिवेश में पहले बड़े बच्चे बचपन से ही बचत के बारे में सुनते तो हैं परंतु माता-पिता के अलावा उन्हें खुद भी बचत कैसे कर ने इस बारे में बताना और सिखाना जरूरी होता है।
(3) बड़े होते हैं रोल मॉडल
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बचत की आदत एक महत्वपूर्ण लाइफ स्किल है जिसे सीखा जाता है क्या एक आदत बच्चों में मित्रता के साथ कई अन्य गुणों के विकास भी करती हैं जैसे जरूरी और गैर जरूरी का अंतर कर पाना, प्राथमिकता निर्धारित करना, खुद पर नियंत्रण दूरदर्शिता योजनाबद्ध होना इत्यादि।
(1) जितनी जल्दी, उठना अच्छा
किसी भी अच्छी आदत की शुरुआत जितनी जल्दी की जाए उतना अच्छा होता है यह बात बचत पर भी लागू होती है। 5 वर्ष की अवस्था से बच्चों में मनी कंसेप्ट समझने की क्षमता का विकास शुरू होने लगता है रोजमर्रा के अनुभव को उन्हें सिखाने के माध्यम बनाएं अपने साथ बाजार बैंक आदि जगहों पर ले जाए ताकि वे खर्च की अवधारणा को समझ सके और बैंक / एटीएम से बचत की शुरुआती समझ मिले।
(2) जरूरत और इच्छा का भेद
खर्च और बचत की समझ के लिए यह आवश्यक है, कि बच्चे जरूरत और इच्छा का अंतर जान पाए बच्चों से चर्चा करें, अनुभव साझा करें बाजार ले जाएं और व्यवहारिक तौर पर दोनों में फर्क करना बताएं क्योंकि अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए रुकना बचत की आदत सीखने का आधार है।
(3) बड़े होते हैं रोल मॉडल
बच्चे वही गुण सीखते हैं जो वे अपने आसपास देखते हैं बच्चों के सामने समझदारी भरे ढंग से खर्च और बचत का उदाहरण अभिभावक स्वयं बने इसलिए उनके साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए बचत करने की आदत से जुड़े लाभ बताएं।
(4) गुल्लक है अपना साथी
बच्चों के संदर्भ में बचत की बात करते ही सबसे पहले गुल्लक या पिगी बैंक का ख्याल आता है। बच्चे मूर्त रूप में बेहतर सीखते हैं खुद पैसे डालना और बचत के जरिए उसे बढ़ते देखना उन्हें प्रोत्साहित करता है। छह-सात वर्ष की उम्र में बच्चों को जेब खर्च देना एक अच्छा विकल्प है। अतः उन्हें कम रकम से शुरुआत करना और खर्च बचत में बांटकर अंतर समझाना और सिखाना जरूरी है।
(5) लक्ष्य से जुड़कर सिखाएं
कोई भी व्यवहार या आदत कैसे उपयोगी हो सकती है इस बारे में जानकर बच्चे आसानी से सीखते हैं और बचत के पैसों से परिजनों या दोस्तों के लिए विशेष अवसरों पर उपहार लेना, जरूरतमंदों की मदद करना या स्वयं के लिए कुछ उपयोगी चीजें खरीदना बच्चों को उत्साहित करता है। अतः आपको जरूरत न भी हो तब भी कभी-कभी उनसे मदद ले क्योंकि बचत की आदत एक और भावनात्मक जुड़ाव बढ़ा सकता है तो दूसरी ओर समय पड़ने पर मदद की जा सकती है यह भी समझ बढ़ाती है ।
जैसे बूंद बूंद से घड़ा भरता है वैसे ही धीरे-धीरे सीखी गई अच्छे-अच्छे बच्चों को भविष्य की चुनौतियों और जिम्मेदारियों के लिए तैयार करती है।
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कामना करता हूं कि मेरे विचार आपको पसंद आए होंगे।
आप हमेशा स्वस्थ और अच्छे रहें धन्यवाद।
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